कहीं आप भी जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी) के शिकार तो नहीं, जानें यहां!

‘घर में अगर कहीं गंदगी दिखे तो मुझे अच्छा नहीं लगता।’

‘मैं नहीं चाहती कि मेरे हाथ गंदे रहे इसीलिए मैं अपने हाथों को बार-बार धोती हूँ।’

‘घर से निकलते वक्त मैंने दरवाजा ठीक से बंद किया है या नहीं, इस बात को लेकर मैं परेशान हूँ।’

जब भी आप ये सारी बातें स्वयं कहते हैं या किसी को बोलते हुए सुनते हैं, तो क्या आपके जहन में कोई सवाल उमड़ता है? शायद नहीं लेकिन इन बातों पर आपको विचार करने की जरूरत है। दरअसल, ये सारी बातें आपमें किसी मानसिक विकार का संकेत हो सकती हैं। चिकित्सा की भाषा में इस मानसिक विकार को जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी) के नाम से जाना जाता है।

जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी) में व्यक्ति अपने ही विचारों से मजबूर हो जाता है। उसके मन में अनुचित विचार आने लगते हैं। कई लोगों को अपने कामों को लेकर शंका होने लगती है और वे बार-बार अपने काम की जाँच करते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका मन एक ही विचार में अटका रह जाता है और उन्हें अजीब सा डर या घबराहट का एहसास होता है।


जुनूनी बाध्यकारी विकार में व्यक्ति को किस बात का लगता है डर?

जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी) में व्यक्ति को हर वक्त गंदगी या कीटाणुओं से संक्रमित होने का डर लगा रहता है। उसे ऐसा लगता है जैसे उसके हाथों में गंदगी लगी हुई है। इसीलिए वो बार-बार अपने हाथों को धोता है लेकिन फिर भी उसे संतुष्टि नहीं होती है।

ओसीडी:DocTubeBlog


ऐसा नहीं कि व्यक्ति अपनी इस आदत से परेशान नहीं होता लेकिन इन आदतों को चाहकर भी वो नियंत्रित नहीं कर पाता। जुनूनी बाध्यकारी विकार से पीड़ित लोग कुछ चीजों को छूने से भी कतराते हैं ताकि उनके हाथ गंदे न हो जायें, जैसे - दरवाजे का हैंडल, दूसरों से हाथ मिलाना आदि। ऐसे लोग घर की सफाई करते रहते हैं। गंदगी के भय से बार-बार कपड़े बदलना या नहाना भी इस विकार का ही उदारहण है।


किस तरह की शंकाओं में घिरा रहता है व्यक्ति?


जुनूनी बाध्यकारी विकार (ओसीडी) में कई बार व्यक्ति अपने कामों को लेकर ही शंकाओं में घिरा रहता है। इसके निम्नलिखित उदाहरण हैं:


  • लाइट या पंखे का स्विच बंद है या नहीं

  • कहीं बाहर जाते वक्त दरवाजा लॉक किया है या नहीं

  • गैस बंद है या नहीं

  • पानी का नल बंद है या नहीं



ऐसी स्थिति में व्यक्ति बार-बार अपने काम की जाँच करता रहता है लेकिन फिर भी उसे शांति नहीं मिलती। ऐसे में व्यक्ति को बहुत ज्यादा घबराहट भी होती है कि कहीं उससे कोई चूक न हो जाये।

समरूपता या चीजों के क्रम में नहीं मिलने से होती है परेशानी?

चीजें सही जगह पर नहीं हैं, सामान बिखरे हुए हैं, चीजों को सजाने का क्रम भी गलत है, क्या ये सारी बातें आपको भी परेशान करती हैं? अगर आपका जवाब हाँ है तो ये सब भी जुनूनी बाध्यकारी विकार के संकेत हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपनी चीजें एक क्रम में चाहिये होती हैं। सामान जहाँ और जैसे रखा है, अगर उसे उसी स्थिति में नहीं मिलता तो व्यक्ति परेशान हो जाता है। बार-बार चीजों की गिनती करना जैसे लक्षण भी इस विकार में नजर आते हैं।




किस तरह के विचार व्यक्ति को करते हैं परेशान?

जुनूनी बाध्यकारी विकार में व्यक्ति के मन में उसके अपनों के लिए अजीब-अजीब तरह के ख्याल आने लगते हैं। उसे बार-बार ऐसा लगता है कि कहीं उसके किसी अपने का एक्सीडेंट न हो जाये। हर वक्त उसे अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के लिए खतरे का एहसास होता है। वहीं इस मानसिक विकार से पीड़ित कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिनके मन में अपनों को नुकसान पहुँचाने का ख्याल भी आता है। इन सबके अलावा कई बार व्यक्ति बेवजह चीजें खरीदने लगता है या फिर सामानों को इकट्ठा करने लगता है।

अगर आपमें भी इस तरह के लक्षण मौजूद हैं या आपके आसपास कोई ऐसा व्यवहार करता है तो उसे मानसिक रोग विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करना चाहिये। समय पर इलाज जुनूनी बाध्यकारी विकार को बढ़ने से रोक सकता है।




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