बातूनी है बच्चा और नहीं देता पढ़ाई में ध्यान! कहीं ये एडीएचडी के लक्षण तो नहीं?
कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी बातें खत्म ही नहीं होती। बहुत बार तो दूसरों के बीच में बोलने से ऐसे बच्चे खुद को रोक नहीं पाते। वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो चाहकर भी शांति से एक जगह पर बैठ नहीं सकते। क्या आपका बच्चा भी ऐसा करता है और आपने अभी तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया है? तो अभी से सतर्क हो जाएं क्योंकि ये ए़डीएचडी के लक्षण हो सकते हैं।
जानें क्या होता है एडीएचडी?
एडीएचडी का मतलब है अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर। ज्यादातर ये समस्या बच्चों एवं किशोरों में देखी जाती है लेकिन कुछ युवा भी एडीएचडी का शिकार हो सकते हैं। 3 साल से लेकर 12 साल की उम्र तक के बच्चों में एडीएचडी के लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बीमारी में कुछ बच्चों में ध्यान का अभाव होता है तो कुछ बच्चे हाइपरएक्टिव होते हैं। कई बार बच्चों में इंपल्सिव बिहेवियर देखने को भी मिलता है।
लड़कियों की तुलना में लड़के एडीएचडी से हैं ज्यादा परेशान
भारत में भी कई बच्चे एडीएचडी की चपेट में हैं। एक सर्वे के मुताबिक बच्चों और किशोरों में एडीएचडी की व्यापकता 1.30% से 28.9% तक है1। इसी सर्वे की मानें तो लड़कियों की तुलना में लड़कों में एडीएचडी के मामले ज्यादा पाये गये हैं। एक तरफ जहाँ 9.40% लड़के इस बीमारी की चपेट में हैं तो वहीं 5.20% लड़कियां एडीएचडी के लक्षण से परेशान हैं। इसके अलावा 8 से 15 साल के बच्चों में 7.6%-15% एडीएचडी के मामले पाये गये हैं।
एडीएचडी के प्रकार और लक्षण
बच्चों में एडीएचडी के लक्षण उसके प्रकार के आधार पर नजर आते हैं। ये बीमारी मुख्य रूप से 3 प्रकार की होती है -
हाइपरएक्टिव व इंपल्सिव टाइप एडीएचडी (अतिसक्रियता संबंधी एडीएचडी)
इस स्थिति में बच्चे अतिसक्रिय यानी कि हाइपरएक्टिव होते हैं एवं उनका व्यवहार दूसरों को परेशान कर देता है। इसमें नजर आने वाले लक्षण हैं-
एक जगह पर शांत न बैठना।
हाथ एवं पैरों को हिलाते रहना।
किसी भी चीज में फोकस न कर पाना।
घबराहट और बैचेनी महसूस करना।
जरूरत न होने पर भी वस्तुओं को छूते रहना।
जरूरत से ज्यादा बातें करना।
लोगों के बीच में बोलते रहना।
लगातार चलते रहना।
इनअटेंटिव टाइप एडीएचडी (ध्यान केन्द्रित न कर पाने के आधार पर एडीचडी)
इसमें बच्चा बहुत ही ज्यादा इनअटेंटिव होता है, जिसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है बच्चे की पढ़ाई पर। इसके अलावा इस प्रकार में नजर आने वाले एडीएचडी के लक्षण हैं -
किसी भी एक काम में फोकस न कर पाना।
किसी भी काम को करते हुए तुरंत उब जाना।
कोई भी नयी चीज सीखने में परेशानी होना।
दूसरों की बातें न सुनना।
चीजें खो देना जैसे पेन, पेसिंल आदि।
अपने विचारों पर नियंत्रण खो देना।
दिन में सपने देखना और अपने में खोए रहना।
कॉम्बिनेशन एडीएचडी
इसमें बच्चों में हाइपरएक्टिव एवं इनअंटेटिव, दोनों तरह के एडीएचडी के लक्षण मौजूद होते हैं। ऐसे बच्चों के लिए किसी भी काम में ध्यान लगाना, किसी की बातें सुनना या फिर कुछ नया करने की कोशिश करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है। ऐसे बच्चे किसी भी बात का जवाब देने से पहले सोचते तक नहीं और बहुत ज्यादा गुस्सा भी हो जाते हैं।
अगर आपको भी अपने बच्चे में इस तरह एडीएचडी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत उसे मनोचिकित्सक के पास लेकर जाएं। समय पर इस समस्या का इलाज होना बेहद जरूरी है वरना इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
Reference
Joseph, J.K. and Devu, B.K., 2019. Prevalence of attention-deficit hyperactivity disorder in India: A systematic review and meta-analysis. Indian Journal of Psychiatric Nursing, 16(2), p.118.
Joseph, J.K. and Devu, B.K., 2019. Prevalence of attention-deficit hyperactivity disorder in India: A systematic review and meta-analysis. Indian Journal of Psychiatric Nursing, 16(2), p.118.
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