बढ़ते प्रोस्टेट के लक्षण में कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत?
प्रोस्टेट ग्लैंड को ‘पौरुष ग्रंथि’ भी कहा जाता है। ये ग्लैंड पुरुषों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रोस्टेट का मुख्य काम है ऐसे फ्लूइड्स बनाना जिससे पुरुष के स्पर्म सुरक्षित रहे और उसे पोषण भी मिलता रहे। कई कारणों से जब इस ग्लैंड के भीतर मौजूद टिश्यू बढ़ने लगते हैं तो प्रोस्टेट का आकार बड़ा हो जाता है। इसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया कहते हैं। सामान्यत: 40 व उससे ज्यादा उम्र के पुरुषों बढ़ते प्रोस्टेट के लक्षण नजर आते हैं। इसके कारण व्यक्ति को पेशाब संबंधी कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। हालांकि, सिर्फ प्रोस्टेट के आकार से इस बीमारी की गंभीरता का पता नहीं लगाया जा सकता। कई बार कुछ पुरुषों में प्रोस्टेट का आकार तो बहुत बड़ा होता है लेकिन उनमें इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते। वहीं कुछ पुरुषों में प्रोस्टेट का आकार थोड़ा सा भी बढ़ जाने से उन्हें कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो स्थिति इस हद तक बिगड़ जाती है कि दवाईयां भी काम करना बंद कर देती हैं और सर्जरी करने की नौबत आ जाती है।
इन 8 प्रोस्टेट के लक्षण को न करें नदरअंदाज
बार-बार पेशाब के लिए जाना। ऐसी स्थिति में मरीज को पूरे दिन 8 से 10 बार पेशाब जाना पड़ सकता है।
प्रोस्टेट का आकार बढ़ने से व्यक्ति को पेशाब लगने का एहसास तो होता है लेकिन उसका पेशाब अच्छे से निकलता नहीं है और उसे दर्द होता है
रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना भी प्रोस्टेट के लक्षण में शामिल है।
इस समस्या में पेशाब की धार भी कम निकलती है।
प्रोस्टेट बढ़ने की परेशानी में व्यक्ति अपने पेशाब को कंट्रोल नहीं कर पाता।
कई बार इस परेशानी में पेशाब का रंग और गंध दोनों ही अलग नजर आता है।
पेशाब करने के बाद भी व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसका ब्लैडर खाली नहीं हुआ है।
कई बार पेशाब करने के बाद भी ड्रिपलिंग जारी रहती है यानि कि बूंद-बूंद पेशाब टपकता रहता है।
बार-बार पेशाब के लिए जाना। ऐसी स्थिति में मरीज को पूरे दिन 8 से 10 बार पेशाब जाना पड़ सकता है।
प्रोस्टेट का आकार बढ़ने से व्यक्ति को पेशाब लगने का एहसास तो होता है लेकिन उसका पेशाब अच्छे से निकलता नहीं है और उसे दर्द होता है
रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना भी प्रोस्टेट के लक्षण में शामिल है।
इस समस्या में पेशाब की धार भी कम निकलती है।
प्रोस्टेट बढ़ने की परेशानी में व्यक्ति अपने पेशाब को कंट्रोल नहीं कर पाता।
कई बार इस परेशानी में पेशाब का रंग और गंध दोनों ही अलग नजर आता है।
पेशाब करने के बाद भी व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसका ब्लैडर खाली नहीं हुआ है।
कई बार पेशाब करने के बाद भी ड्रिपलिंग जारी रहती है यानि कि बूंद-बूंद पेशाब टपकता रहता है।
इस तरह के प्रोस्टेट के लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये। बढ़ते प्रोस्टेट का इलाज मेडिकेशन, थेरेपी और सर्जरी तीनों माध्यम से किया जा सकता है। शुरुआती दौर में मरीज को दवाईयां दी जाती हैं। वहीं जब दवाईयों से असर न हो और मरीज की तकलीफ बहुत ज्यादा बढ़ जाये तब डॉक्टर सर्जरी का विकल्प चुनते हैं। आईये अब ये समझते हैं कि किन परिस्थितियों में मरीज को सर्जरी करानी पड़ सकती है-
पेशाब का बंद हो जाना - कई बार ऐसी स्थिति आती है जब व्यक्ति का पेशाब निकलना बंद हो जाता है। ऐसे में ब्लैडर से पेशाब पास नहीं हो पाता और व्यक्ति दर्द से छटपटाने लगता है। ये एक इमरजेंसी स्थिति है जब ऑपरेशन करना जरूरी होता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन: जिन पुरुषों में लंबे समय से बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षण नजर आते हैं, उनमें पेशाब ठीक से नहीं निकल पाता। ऐसे में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान पेशाब में जलन, दर्द, खून आना समेत और भी कई गंभीर लक्षण मरीज में नजर आ सकते हैं। अगर यही इंफेक्शन बढ़ जाये तो भी मरीज को सर्जरी कराने की जरूरत पड़ सकती है |
किडनी में पथरी: प्रोस्टेट का बढ़ना यानी कि पेशाब का ठीक से न निकलना और जब पेशाब अच्छे से नहीं निकलेगा तो किडनी पर असर पड़ना लाजमी है। ऐसी स्थिति में किडनी में पथरी की समस्या पैदा हो सकती है। किडनी की पथरी का इलाज दवाईयों से भी किया जा सकता है लेकिन जब ये बीमारी ज्यादा गंभीर हो जाती है तो मरीज को सर्जरी के लिए जाना पड़ सकता है।
पेशाब में खून आना: अगर प्रोस्टेट का आकार बढ़ा हुआ है और साथ में पेशाब में खून भी आ रहा है तो इसका मतलब स्थिति गंभीर है। अगर दवाई लेने के बाद भी पेशाब में खून आने की समस्या लगातार जारी रहती है तो व्यक्ति को डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिये।
अगर आप भी बढ़ते प्रोस्टेट के लक्षण से परेशान हैं तो देरी न करें। आपकी देरी आपको और ज्यादा बीमार बना सकती है। सही समय पर बीमारी का पता चलना और चिकित्सक से संपर्क करना सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर जल्द ही बीमारी का निदान हो जाये तो उसका इलाज करना आसान हो सकता है।
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