इन परिस्थितियों में न करें गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल
आजकल कई महिलाएं अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। ये गोलियाँ कई प्रकार की होती हैं जो अलग-अलग तरह से काम करती हैं। यह जरुरी नहीं कि हर गोली हर महिला के लिए उपयुक्त हो। इसके अलावा, इन गोलियों के कुछ नुकसान भी होते हैं। इसलिए इन गोलियों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है। ऐसा करने से महिलाएं होने वाली संभावित परेशानियों से बच सकती हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिनमें महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करना सही नहीं होता है। आइए जानते हैं कि क्या हैं वो स्थितियां-
गर्भावस्था के दौरान: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कभी भी गर्भनिरोधक गोलियां नहीं खानी चाहिए। अगर उस समय ये गोलियां ली जाए तो इससे समय से पहले बच्चा होने का खतरा बढ़ सकता है। इसका मतलब है कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है, जो खतरनाक हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि गर्भावस्था के दौरान इन गोलियों के सेवन से बचें।
वजन अधिक होने पर: अधिक वजन वाली महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ये महिलाएं इन गोलियों को लेती हैं तो उनमें रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, इन महिलाओं को डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इन गोलियों का सेवन करना चाहिए।
पहले से ही कोई अन्य दवा ले रहे हैं: कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक अन्य दवाओं के प्रभाव को बदल सकते हैं। यह दवाएं मिर्गी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं और कुछ एंटीबायोटिक्स को कम प्रभावी बना सकती हैं। इसलिए, यदि आप वर्तमान में कोई अन्य दवा ले रहे हैं तो गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
35 या उससे अधिक उम्र की महिलाएं जो धूम्रपान करती हैं: यदि आप धूम्रपान करते हैं और आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो गर्भनिरोधक गोलियां लेने से आपमें हृदय संबंधी समस्याएं होने की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए ऐसी स्थिति में या तो इन गोलियों का सेवन न करें या फिर धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करें।
इसके अलावा, निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने पर महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए:
- नसों में खून के थक्के बनने पर
- स्ट्रोक या अन्य बीमारी हो जो धमनियों को संकरा कर देती है
- उच्च रक्तचाप या हृदय की समस्या में
- गंभीर माइग्रेन में
- स्तन कैंसर में
- पित्ताशय की थैली या लिवर की बीमारी में
- लंबे समय से मधुमेह पीड़ित में
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