कान में संक्रमण की समस्या बड़े या बच्चों, हर किसी को हो सकती है। हालांकि, बड़ों की तुलना में ये समस्या बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। इस संक्रमण को ओटाइटिस मीडिया के नाम से जाना जाता है। ऐसी अवस्था में कान के मध्य भाग में सूजन की समस्या पैदा हो जाती है। एक सर्वे के मुताबिक 3 साल की उम्र तक लगभग 80% बच्चे एक ना एक बार एक्यूट ओटाइटिस मीडिया की चपेट में आते ही हैं। (Ref) इसीलिए ये बेहद जरूरी है कि बच्चे को इस समस्या से बचाया जाये।
बच्चों में कान में संक्रमण के लक्षण
- कान में दर्द होना
- बच्चे का बार-बार अपने कानों को छूना
- कान से पस निकलना
- चिड़चिड़ापन
- बुखार
- भूख न लगना
- सोने में तकलीफ होना
किन कारणों से हो सकता है बच्चे के कान में संक्रमण?
बच्चों के कान में संक्रमण होने का मुख्य कारण है बैक्टीरिया। स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा जैसे नॉन टाइपेबल बैक्टीरिया के कारण बच्चे को कान में संक्रमण होता है।
(Ref) वहीं अगर बच्चे को सर्दी, जुकाम, खांसी या कोई भी अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हुआ है, तो इसका असर भी बच्चे के कान पर पड़ता है।
5 तरीके जो बच्चे को कान में संक्रमण की समस्या से बचाने में हैं मददगार
अगर माता-पिता कुछ बातों का ध्यान रखें, तो बच्चे को
कान में संक्रमण की समस्या से बचाया जा सकता है। आज हम ऐसे ही 5 आसान उपायों पर चर्चा करेंगे, जिसकी जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिये -
1. टीकाकरण
सही समय पर अगर बच्चे का टीकाकरण किया जाये तो उसे कान की समस्याओं से बचाया जा सकता है। इसके लिए हर साल बच्चे को इंफ्लुएंजा और फ्लू का वैक्सीन जरूर लगवाएं। वहीं न्यूमोकोकल वैक्सीन स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया से बचाने में मदद करता है, जो कान में संक्रमण का मुख्य कारण है। बच्चे को ये सारी वैक्सीन लगवाने से उसे संक्रमण से बचाया जा सकता है।
(Ref)
2. हाथों को साफ रखें
बच्चे किसी भी गंदी चीज को छू लेते हैं और फिर उन्हीं हाथों से अपने कानों को छूते हैं। इसीलिए ये जरूरी है कि बच्चे के हैंड हाइजीन का ख्याल रखा जाये। साथ ही माता-पिता के लिए अपने हाथों को साफ रखना भी जरूरी है। इससे कीटाणु बच्चे से दूर रहेंगे और उन्हें कोल्ड या फ्लू नहीं होगा। ये समस्याएं ही बच्चों में कान में संक्रमण का खतरा बढ़ाती हैं।
(Ref)
3. सिगरेट के धुएं से बच्चे को रखें दूर
इस बात का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। कुछ सर्वे में ये कहा गया है कि जो बच्चे सिगरेट के धुएं के आसपास रहते हैं, उनमें कान में संक्रमण होने की आशंका ज्यादा रहती है।
(Ref)
4. बीमार बच्चों से अपने बच्चे को रखें दूर
बीमार बच्चों को एक साथ समय बिताने से रोकना जरूरी है। अगर दूसरे बच्चे बीमार हैं, तो उनसे अपने बच्चे को दूर रखें। वहीं अगर आपका बच्चा बीमार है, तो उसे दूसरे बच्चों के साथ खेलने न दें। इससे कान में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
(Ref)
5. बच्चे को स्तनपान कराएं
ये जरूरी है कि जन्म के बाद 6 महीने तक माँ बच्चे को अपना ही दूध पिलाए। अगर कम से कम 12 महीने तक माँ बच्चे को स्तनपान कराती है, तो उसे संक्रमण से बचाया जा सकता है।
(Ref)
तो इन आसान तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चे को
कान में संक्रमण जैसी समस्याओं से बचा सकते हैं। आपकी जागरूकता आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
क्या टीकाकरण से बच्चों को कान के संक्रमण से बचाया जा सकता है?
सही समय पर अगर बच्चे का टीकाकरण किया जाये तो उसे कान की समस्याओं से बचाया जा सकता है। इसके लिए हर साल बच्चे को इंफ्लुएंजा और फ्लू की वैक्सीन जरूर लगवाएं।
बच्चों में कान में संक्रमण के लक्षण क्या हैं?
कान में दर्द, बार-बार कानों को छूना, कान से पस निकलना, चिड़चिड़ापन, बुखार, भूख न लगना, सोने में तकलीफ होना आदि बच्चों में कान के संक्रमण के लक्षण हैं।
Post a Comment