अधकपारी (माइग्रेन) के लिए 80% तक जिम्मेदार है तनाव! जानें इसके अन्य ट्रिगर फैक्टर्स
अधकपारी (माइग्रेन) एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस बीमारी में होने वाला सिर दर्द एक किनारे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे सिर में फैल जाता है। कुछ लोगों को 2 घंटे तो कुछ को काफी दिनों तक यह दर्द बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है। आंकड़ों की मानें तो 10 में से एक व्यक्ति में यह बीमारी नजर आती है। विशेष रूप से महिलाओं में अधकपारी एक कॉमन समस्या बन चुकी है। एक अध्ययन के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी का खतरा 3 गुणा अधिक होता है।
इस बारे में डॉक्टर निलेश गुप्ता बताते हैं कि अधकपारी में होने वाला सिरदर्द मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है- प्राइमरी और सेकेंडरी। जब बिना किसी कारण के सिरदर्द शुरू हो जाये, तो इसे प्राइमरी सिरदर्द कहा जाता है। वहीं जब संक्रमण, ट्यूमर या अन्य किसी कारण से व्यक्ति के सिर में तेज दर्द होने लगे, तो इसे सेकेंडरी सिर दर्द की श्रेणी में रखा जाता है।
अधकपारी के 10 ट्रिगर फैक्टर्स
1. तनाव
माइग्रेन का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है - व्यक्ति में बढ़ता तनाव। तनाव को इस बीमारी के लिए 80% तक जिम्मेदार माना गया है। पढ़ाई का दबाव, काम की चिंता, परिवारिक रिश्तों में खटास व अन्य कई कारण व्यक्ति में तनाव बढ़ाते हैं और फिर यही तनाव अधकपारी के खतरे को बढ़ाता है।
2. हार्मोनलव बदलाव
महिलाओं में अधकपारी के लिए 65% तक शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव जिम्मेदार होते हैं। पीरियड्स, ओव्यूलेशन, प्रेगनेंसी व अन्य अवस्थाओं में महिलाओं का शरीर कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन से गुजरता है, जिसके कारण उनमें माइग्रेन का जोखिम बढ़ जाता है।
3. खाना न खाना
खाने के पैर्टन में बदलाव करना या एक वक्त का खाना स्किप करना भी अधकपारी के खतरे को बढ़ा सकता है। 57% माइग्रेन के मामले इन्हीं कारणों से नजर आते हैं।
4. मौसम में बदलाव
मौसम में अचानक से आया बदलाव भी अधकपारी को ट्रिगर कर सकता है। 53% मामलों में ऐसा देखने को मिलता है। इसीलिए माइग्रेन के मरीजों को तपती धूप या फिर ठंड के मौसम में घर पर रहने की ही हिदायत दी जाती है।
5. सोने के पैटर्न में बदलाव
जरूरत से ज्यादा सोना या फिर पर्याप्त नींद न लेना, यह दोनों ही फैक्टर अधकपारी को ट्रिगर करने के लिए 50% तक जिम्मेदार होते हैं।
6. शराब का सेवन
नियमित रूप से शराब पीना विशेष रूप से वाइन का सेवन अधकपारी का खतरा पैदा कर सकता है। इस बीमारी के लिए शराब को 38% तक जिम्मेदार माना गया है।
7. धूम्रपान
36% मामलों में धूम्रपान के कारण अधकपारी का जोखिम बढ़ जाता है। सिगरेट और ई-सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण और सख्त बनाकर संकुचित कर देता है, जिससे व्यक्ति को माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है।
8. जरूरत से ज्यादा दवाइयां खाना
कई बार व्यक्ति को ओवर द काउंटर दवाइयां लेने की इतनी ज्यादा आदत हो जाती है कि छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी वे दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं। उनकी यही आदत तेज सिरदर्द का कारण बन सकती है।
9. व्यक्ति के आसपास का वातावरण
कई बार व्यक्ति के आसपास कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स मौजूद होते हैं, जिससे अधकपारी के लक्षण ट्रिगर हो जाते हैं। इनमें तेज़ रोशनी, तेज़ आवाज़ और तेज़ गंध जैसे फैक्टर्स शामिल हैं।
10. एक्सरसाइज
जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करना भी अधकपारी के मरीज को भारी पड़ सकता है। माइग्रेन के 22% मामलों के लिए एक्सरसाइज को जिम्मेदार माना गया है।
अधकपारी के प्रकार
ऑरा के साथ अधकपारी को पहले क्लासिक माइग्रेन कहा जाता था। इसमें देखने में परेशानी होने के साथ-साथ अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी व्यक्ति में नजर आते हैं, जो वास्तविक सिरदर्द से लगभग 10 से 60 मिनट पहले दिखाई देते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति को सिरदर्द हो, यह जरूरी नहीं है। वहीं शरीर के किसी एक तरफ अजीब सा सेंसेशन, सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी, हाथों या चेहरे में झुनझुनी व अन्य लक्षण व्यक्ति में नजर आ सकते हैं।
दूसरी तरफ बिना ऑरा वाले माइग्रेन को सामान्य माइग्रेन कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को सिर के एक तरफ से दर्द महसूस होना शुरू होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ सकता है। इस प्रकार के माइग्रेन में धुंधली दृष्टि, मूड में बदलाव, थकान, प्रकाश, ध्वनि या शोर के प्रति संवेदनशीलता आदि लक्षण व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशान करते हैं।
किनमें अधकपारी होने की संभावना ज्यादा होती है?
अधकपारी बच्चों और वयस्कों दोनों में ही होता है लेकिन पुरुषों की तुलना में वयस्क महिलाओं को यह तीन गुना अधिक प्रभावित करता है। माइग्रेन आनुवंशिक भी होता है। अधिकांश माइग्रेन पीड़ितों के पास इस विकार का पारिवारिक इतिहास होता है। इसके अलावा अवसाद, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर, नींद संबंधी विकार, मिर्गी व अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों में भी यह बीमारी आम है।
महिलाओं में अधकपारी अक्सर हार्मोन में बदलाव से संबंधित होता है। मासिक धर्म चक्र की शुरुआत में या फिर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सिर दर्द की शिकायत शुरू हो सकती है। अधिकांश महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद इस समस्या में सुधार दिखाई देता है। वहीं जो महिलाएं अंडाशय निकलवा चुकी होती हैं, उनमें माइग्रेन के लक्षण और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
अधकपारी का इलाज
अधकपारी के लक्षण सभी लोगों में अलग-अलग नजर आते हैं और उसी के अनुसार उसका इलाज भी अलग-अलग हो सकता है। यदि यह बीमारी शुरुआती चरण में होती है, तो साधारण दवाइयां जैसे एस्पिरिन या एस्पालगिन (इसमें एस्पिरिन और कोडीन होता है) की तीन गोलियां मरीज को दी जा सकती हैं। इसके अलावा मतली और उल्टी को प्रबंधित करने के लिए एंटीमेटिक्स फायदेमंद होता है। अगर माइग्रेन में दर्द गंभीर हो जाये, तो मरीज को अस्पताल में भर्ती कराकर उसे और ज्यादा स्ट्रॉंग दवाइयां दी जा सकती हैं। अधकपारी में आमतौर पर, किसी भी परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। हाँ, अगर डॉक्टर को यह लगे कि मरीज में नजर आ रहे लक्षण का कारण कोई दूसरी बीमारी है, तो वे आवश्यक जाँच कराने की सलाह दे सकते हैं।
निष्कर्ष (conclusion)
बचाव ही अधकपारी का सबसे अच्छा इलाज है। तनाव मुक्त रहना, खानपान में सुधार, पर्याप्त नींद, धूम्रपान और शराब से परहेज, नियमित एक्सरसाइज व अन्य बातों को ध्यान में रखकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।
Reference
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5. NIH, 2023. Migraine . Available at: (Accessed: 11 September 2023).
FAQ
अधकपारी क्या होता है?
अधकपारी (माइग्रेन) एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस बीमारी में होने वाला सिर दर्द एक किनारे से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे सिर में फैल जाता है। कुछ लोगों को 2 घंटे तो कुछ को काफी दिनों तक यह दर्द बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है।
अधकपारी के ट्रिगर फैक्टर्स क्या हैं?
तनाव, मौसम में बदलाव, खाने और सोने के पैटर्न में बदलाव, हार्मोनल बदलाव, शराब व धूम्रपान का सेवन व अन्य कई कारक अधकपारी को ट्रिगर कर सकते हैं।
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