महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण में प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया को न करें इग्नोर!

 

महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण:DocTubeBlog

अक्सर डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को कई सारी तकलीफों से गुजरना पड़ता है। इन्हीं तकलीफों में से एक है प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया। इस बीमारी में महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण कई तरह की परेशानियां नजर आती हैं। डिलीवरी के 48 घंटे बाद से लेकर 6 हफ्तों तक, महिला कभी भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती है। इस बीमारी को हल्के में लेने की गलती बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये, वरना इसमें जान का जोखिम भी हो सकता है। (Ref)


जानें क्या होता है प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया जो महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण में शामिल है?

महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण में प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया शामिल है। डिलीवरी के बाद अगर महिला का ब्लड प्रेशर 140/90 एमएमएचजी या उससे ज्यादा हो जाये, तो इस अवस्था को प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया कहते हैं। बच्चे के जन्म के तकरीबन 6 सप्ताह बाद तक महिलाओं में यह परेशानी दिखाई दे सकती है। जो महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित होती हैं, उनके मूत्र में प्रोटीन भी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।  (Ref)


प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया (महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण) के लक्षण 

1. अगर डिलीवरी के बाद महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो, तो ये प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है  (Ref)

2. इस अवस्था में महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण काफी असहजता देखी जाती है। 

3. हर वक्त उल्टी या जी मिचलाने का एहसास होना भी प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण हैं।

4. सिर में तेज दर्द होने पर महिलाओं को तुरंत अपनी जाँच करानी चाहिये क्योंकि ये प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का मुख्य लक्षण है  (Ref)

5. शरीर में लाल धब्बे नजर आना एवं धुंधली दृष्टि इस बीमारी के लक्षणों में शामिल है।

6. सांस फूलना एवं हाथ व पैरों में सूजन की समस्या भी प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का संकेत हो सकते हैं।

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया (महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण) के रिस्क फैक्टर्स  (Ref)

इस बीमारी में महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण और भी कई सारी तकलीफें देखी जाती हैं। अगर महिलाओं को इन तकलीफों से बचाना है, तो प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के निम्नलिखित रिस्क फैक्टर्स को समझना आवश्यक है-

  1. प्रेगनेंसी के पहले या प्रेगनेंसी के दौरान किडनी संबंधी बीमारी होना
  2. उच्च रक्तचाप का इतिहास होना
  3. पहले हुई प्रेगनेंसी में प्रीक्लेम्पसिया होना
  4. मोटापा या जरूरत से ज्यादा वजन का होना
  5. महिला की उम्र 40 साल से ज्यादा होना

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया से हो सकते हैं ये खतरे 

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया को नजरअंदाज नहीं करना बेहतर है। अगर ये बीमारी गंभीर रूप ले ले, तो इससे महिला के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं, जैसे- झटके आना, किसी अंग को नुकसान पहुँचना, स्ट्रोक आदि (Ref) । इन परेशानियों के कारण महिला की जान को भी खतरा हो सकता है। इसीलिए, प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का समय पर इलाज होना बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया में महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण परेशानियां न बढ़ जाये, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। अगर महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ-साथ उपर बताये गये अन्य लक्षणों का भी एहसास हो, तो उसे तुरंत अपने ब्लड प्रेशर की जाँच करानी चाहिये, ताकि समय रहते प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का इलाज हो सके।


Reference

1. Medical News Today, 2020. What to know about preeclampsia after birth Available at

2. Preeclampsia Foundation, 2018.  Postpartum Preeclampsia Kdhe.ks.gov. Available at



  प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण क्या हैं?  
   

महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण परेशानी होना, उल्टी, जी मिचलाना, सिरदर्द, सांस फूलना आदि लक्षण प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया का संकेत हो सकते हैं।

 
  प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया के कारण महिलाओं को क्या खतरा हो सकता है?  
   

प्रसवोत्तर प्रीक्लेम्पसिया अगर गंभीर हो जाये, तो इससे महिला के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं, जैसे- झटके आना, किसी अंग को नुकसान पहुँचना, स्ट्रोक आदि। ये ऐसी परेशानियां हैं, जिससे महिला की जान को खतरा हो सकता है।

 

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