अगर मोतियाबिंद ज्यादा गंभीर न हो, तो हो सकता है कि शुरुआत में मरीज में कोई लक्षण नजर न आये लेकिन अगर यह बीमारी बढ़ गयी तो व्यक्ति की दृष्टि में बदलाव दिखाई देने लगता है। ऐसे में व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं-
- चीजें धुंधली नजर आना
- रंग हल्के दिखाई देना
- रात में ठीक से न देख पाना
- बल्ब, लाइट व अन्य रोशनी देने वाली चीजों के पास एक गोलाकार सा नजर आना
- कोई भी रोशनी तेज दिखना
- चीजों का डबल दिखाई देना
- चश्या या कॉन्टैक्ट लेंस को बार-बार बदलते रहना
किन लोगों में मोतियाबिंद का खतरा रहता है ज्यादा?
कई ऐसे रिस्क फैक्टर्स हैं जो व्यक्ति में मोतियाबिंद का खतरा बढ़ा सकते हैं-
1. बढ़ती उम्र
मोतियाबिंद को मुख्य रूप से उम्र से संबंधित बीमारी माना जाता है। 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को आसानी से यह बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है।
2. डायबिटीज
रक्त में अगर शुगर की मात्रा बढ़ जाये तो इसका असर आँखों पर भी पड़ता है। ऐसे में जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, उनमें मोतियोबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए शुगर को कंट्रोल में रखना आवश्यक है।
3. उच्च रक्तचाप
रक्तचाप का बढ़ना आँखों की नसों पर भी असर डालती है और ऐसे में व्यक्ति मोतियाबिंद से पीड़ित हो सकता है।
4. धूम्रपान और शराब
धूम्रपान और शराब की लत नजर को कमजोर बना सकती है। इन नशीले पदार्थों का सेवन मोतियाबिंद का जोखिम भी बढ़ा सकता है। इसीलिए, पुरुष को एक दिन में 2 और महिलाओं को 1 ड्रिंक से ज्यादा नहीं लेना चाहिये।
5. आनुवंशिक
मोतियाबिंद आनुवंशिक बीमारी भी है। जिनके परिवार में माता-पिता या अन्य सदस्य को यह बीमारी हुई है, उनकी आने वाली पीढ़ी भी इसका शिकार हो सकती है। इसीलिए, ऐसे लोगों को अपनी आंखों का विशेष ख्याल रखना चाहिये।
6. आंखों में चोट लगना या सर्जरी
अगर किसी को आंखों में चोट लगी हो, आंखों की सर्जरी हुई हो या जिन लोगों ने रेडिएशन ट्रीटमेंट कराया हो, उनमें मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बना रहता है।
7. धूप में ज्यादा वक्त रहना
तेज धूप में ज्यादा वक्त तक बिना चश्मे के रहना आँखों को नुकसान पहुँचा सकता है। जिन लोगों को काम की वजह से ज्यादा वक्त धूप में रहना पड़ता है, उनमें मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ जाता है।
8. स्टेरॉयड
गठिया या फिर किसी एलर्जी के लिए ली गयी दवाईयां या ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेने से भी व्यक्ति मोतियाबिंद से पीड़ित हो सकता है।
मोतियाबिंद से बचाव है संभव!
कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर्स हैं जैसे उम्र, आनुवंशिक कारण आदि को बदलना व्यक्ति के बस में नहीं है लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर व्यक्ति स्वयं को इस बीमारी से बचा सकता है-
1. जो लोग डायबिटीज या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, उन्हें इन बमारियों को नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिये। इससे मोतियाबिंद के खतरे को टाला जा सकता है।
2. ज्यादा समय धूप में न बिताएं और सूरज की किरणों से आंखों को बचाने की कोशिश करें। जब भी धूप में बाहर निकले तो सनग्लास का इस्तेमाल करें।
3. शराब एवं धूम्रपान की लत को छोड़ें, वरना आँखों के साथ-साथ शरीर के अन्य अंग भी डैमेज हो सकते हैं।
4. आंखों को चोट लगने से बचाएं।
5. खानपान का विशेष ख्याल रखें। रोजाना फल, हरी सब्जियां, नट्स एवं होलग्रेन्स फूड्स का सेवन जरूर करें, इससे आंखों की रोशनी तेज रहेगी।
मोतियाबिंद का इलाज क्या है?
मोतियाबिंद से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका सर्जरी है लेकिन व्यक्ति को तुरंत सर्जरी कराने की आवश्यकता नहीं भी पड़ सकती है। शुरुआती दौर में मोतियाबिंद को मैनेज करने के लिए कुछ घरेलू उपचार अपनाये जा सकते हैं-
1. घरेलू उपचार
- घर या कार्यस्थल पर तेज़ रोशनी का प्रयोग करें
- धूप में जाने से पहले चश्मा पहनें
- पढ़ने और अन्य गतिविधियों के लिए मैग्नीफाइंग लेंस का उपयोग करें
2. नया चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस
डॉक्टर से जाँच कराने के बाद नया चश्मा या कॉन्टैक्स लेंस बनवाकर व्यक्ति मोतियाबिंद के शुरुआती दिनों में अपनी धुंधली दृष्टि में सुधार कर सकता है।
3. सर्जरी
जब मोतियाबिंद के लक्षण गंभीर हो जाये और व्यक्ति अपने रोजाना के कार्य जैसे पढ़ना, गाड़ी चलाना, टीवी देखना आदि न कर पाये, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये। ऐसे में डॉक्टर मरीज को सर्जरी कराने का सुझाव दे सकते हैं। मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान धुंधले लेंस को हटाकर उसके स्थान पर एक नया, कृत्रिम लेंस (जिसे इंट्राओकुलर लेंस या आईओएल भी कहा जाता है) लगाया जाता है। यह सर्जरी बहुत सुरक्षित होती है और इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लगता है। मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वाले 10 में से 9 लोगों की धुंधला नजर आने की परेशानी खत्म हो जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज पूर्ण रूप से संभव है लेकिन इसके लिए जरूरी है समय रहते जाँच कराना। कई बार लोग इस बीमारी को नजरअंदाज कर देते हैं और उनकी यही लापरवाही आंखों को नुकसान पहुँचाती है। इसीलिए, मोतियाबिंद के लक्षण नजर आने पर तुरंत जाँच और इलाज कराना जरूरी है। इस मामले में देरी अंधेपन का कारण भी बन सकती है।
Reference
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