पीरियड्स (Periods in Hindi) में होती है कम ब्लीडिंग! आखिर क्या है इसका कारण?

 

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पीरियड्स (Periods in Hindi) का नियमित रूप से आना इस बात का संकेत है कि महिला स्वस्थ है। वहीं अगर पीरियड्स  (Period Meaning in Hindi) अनियमित हो जाए या इस दौरान ब्लीडिंग खुलकर न हो तो यह किसी समस्या का इशारा हो सकता है। पीरियड्स खुलकर न होना या कम ब्लीडिंग होने की इस समस्या को लाइट पीरियड के नाम से जाना जाता है। अक्सर कुछ महिलाएं इस परेशानी को हल्के में लेने की गलती कर बैठती हैं लेकिन आप ऐसी भूल न करें क्योंकि लाइट पीरियड होने के कई कारण हैं, जिनमें कुछ बीमारियां भी शामिल हैं।



क्या हैं पीरियड्स में कम ब्लीडिंग होने के मुख्य कारण?


1. उम्र

हर उम्र में महिलाओं को पीरियड्स (Periods in Hindi) के दौरान होने वाली ब्लीडिंग का प्रवाह अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड आता है, तो उसका प्रवाह आमतौर पर हल्का होता है और इसमें केवल स्पॉटिंग शामिल हो सकती है। वहीं 20 से 30 साल की उम्र तक पीरियड्स और अधिक नियमित हो जाते हैं। दूसरी तरफ 40 साल की उम्र आते-आते अक्सर महिलाओं को बार-बार पीरियड होता है और उन्हें भारी रक्तस्त्राव से गुजरना पड़ता है। पेरिमेनोपॉज़ के दौरान पीरियड्स (Periods in Hindi) अक्सर हल्के और अधिक अनियमित हो जाते हैं।

2. ओव्यूलेशन की कमी

कभी-कभी महिला को अनियमित माहवारी से गुजरना पड़ता है क्योंकि उनका शरीर एग (अंडा) रिलीज नहीं करता है। इसे एनोव्यूलेशन के रूप में जाना जाता है और इसके कारण लाइट पीरियड (Period Meaning in Hindi) की समस्या भी हो सकती है।


3. शरीर का वजन बदलना

जो महिलाएं अंडरवेट होती हैं या बहुत जल्दी जिनका वजन कम हो जाता है, उन्हें या तो लाइट पीरियड (Periods in Hindi) होता है या फिर पीरियड पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके शरीर में वसा का स्तर बहुत कम हो जाता है, जो ओव्यूलेशन को रोक सकता है। अत्यधिक व्यायाम और खानपान संबंधी विकार भी पीरियड में कम ब्लीडिंग होने का कारण बन सकते हैं।


4. गर्भावस्था

गर्भावस्था की शुरुआत में लाइट पीरियड कुछ महिलाओं को हो सकता है। वैसे प्रेगनेंसी के दौरान महिला के पीरियड्स (Periods in Hindi)  पूरी तरह बंद हो जाते हैं। हालांकि, कभी-कभी महिलाएं इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग को लाइट पीरियड समझने की गलती कर देती हैं। जबकि हल्की मात्रा में इस तरह की स्पॉटिंग तब होती है, जब अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है।


5. तनाव

कई बार बहुत ज्यादा चिंता या तनाव के कारण भी महिला की माहवारी अनियमित हो जाती है। ऐसी अवस्था में या तो महिला को हर महीने पीरियड्स (Periods in Hindi) नहीं आते हैं या फिर पीरियड के दौरान बहुत हल्की ब्लीडिंग होती है।


6. थाइरोइड

थाइरोइड हार्मोन महिला के मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में अगर इस हार्मोन का स्तर बहुत कम या ज्यादा हो जाये तो अनियमित माहवारी, हल्का पीरियड (Periods in Hindi) व अन्य समस्याएं महिलाओं को हो सकती हैं।


7. गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन 

जब कोई महिला हार्मोनल जन्म नियंत्रण गोलियों का उपयोग करना शुरू करती है, तो उसे एहसास होता है कि उसका पीरियड खुलकर नहीं आ रहा है। रक्त प्रवाह में यह कमी इसलिए हो सकती है क्योंकि जन्म नियंत्रण गोलियों में हार्मोन की खुराक कम होती है और गर्भाशय की परत ज्यादा मोटी नहीं हो पाती है। इसके परिणामस्वरूप, महिला को हल्के पीरियड  (Periods in Hindi) का अनुभव हो सकता है।


8. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिलाओं को हल्की या अनियमित माहवारी हो सकती है। दरअसल, पीसीओएस का मतलब है शरीर में एण्ड्रोजन का उच्च स्तर और अतिरिक्त इंसुलिन का होना, जो ओव्यूलेशन चक्र को प्रभावित करते हैं। इसका असर पीरियड्स (Periods in Hindi) पर भी पड़ता है।


कैसे पता चलेगा आपको हो रहा है लाइड पीरियड (Periods in Hindi)?


महिलाओं में नजर आने वाले निम्नलिखित लक्षण लाइट पीरियड का संकेत हो सकते हैं- 

  • सामान्य दिनों की तुलना में कम दिनों के लिए पीरियड आना
  •  कम पैड या टैम्पोन बदलना
  • पहले 1-2 दिनों तक भारी रक्तस्त्राव नहीं होना लेकिन हल्की-हल्की ब्लीडिंग होते रहना
  •  लगातार ब्लीडिंग न होकर धब्बे जैसा दिखाई देना

लाइट पीरियड (Periods in Hindi) के रिस्क फैक्टर्स


लाइट पीरियड के लिए कुछ संभावित जोखिम कारकों में शामिल हैं-

1. उम्र

 युवा लड़कियों में यह समस्या ज्यादा पायी जाती है।

2. स्तनपान

बच्चे की डिलीवरी के बाद स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पीरियड्स (Periods in Hindi) की फिर से शुरुआत होने में देरी हो सकती है या फिर उनका मासिक धर्म हल्का हो सकता है।


3. तनाव

जीवन में ज्यादा तनाव शरीर में हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है और इससे लाइट पीरियड का जोखिम बढ़ जाता है।


लाइट पीरियड (Periods in Hindi) में कब करें डॉक्टर से संपर्क?

वैसे तो लाइट पीरियड होना कोई विशेष चिंता वाली बात नहीं है लेकिन इसे पूरी तरह इग्नोर भी नहीं करना चाहिये। अगर किसी महिला को लगातार इस तरह की परेशानी हो रही है या जिनका पीरियड बहुत ज्यादा अनियमित हो गया है, उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये। दूसरी तरफ जिन महिलाओं को लाइट पीरियड (Periods in Hindi) के साथ-साथ पेट के निचले हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द शुरू हो जाये, उसे भी बिना देरी अपनी जाँच जरूर करानी चाहिये। 

इसके अलावा अगर आपको अचानक से लाइट पीरियड आने लगते हैं और आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं, तो इसे सुनिश्चित करने के लिए तुरंत प्रेगनेंसी टेस्ट करें। आप चाहें तो घर पर या फिर अपने डॉक्टर की निगरानी में भी यह परीक्षण करा सकती हैं। 


निष्कर्ष (Conclusion)

पीरियड (Periods in Hindi) में कम ब्लीडिंग होना वैसे बेहद गंभीर समस्या नहीं है लेकिन आपकी लापरवाही इस परेशानी को बड़ा बना सकती है। विशेष रूप से अगर महिला थाइरोइड या पीसीओएस जैसी बीमारियों से पीड़ित है और उसे पीरियड खुलकर नहीं आ रहा है, तो बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। इस मामले में देरी बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिये और डॉक्टर के निर्देश के अनुसार महिला को अपना इलाज कराना चाहिये ताकि महिला की प्रेगनेंसी या आने वाले जीवन पर इसका कोई दुष्प्रभाव न पड़े।


Reference

1. Hanigsman, S. A., 2023. Why is my period so light? Medical News Today. MediLexicon International. Available at: (Accessed: 26 October 2023).

2. Chiu, D., 2021. My period is very light, am I pregnant? The Femedic. Available at: (Accessed: 26 October 2023).


FAQ

  महिलाओं में लाइड पीरियड (Periods in Hindi) होने के क्या कारण हैं?  
   

उम्र, ओव्यूलेशन की कमी, वजन घटना, तनाव, थाइरोइड, पीसीओएस, प्रेगनेंसी व अन्य कई कारणों से महिलाओं का पीरियड लाइट हो सकता है।

 
  क्या गर्भनिरोधक गोलियों के कारण पीरियड में हल्की ब्लीडिंग हो सकती है?  
   

हाँ, ऐसा हो सकता है क्योंकि जन्म नियंत्रण गोलियों में हार्मोन की खुराक कम होती है और इसके कारण गर्भाशय की परत ज्यादा मोटी नहीं हो पाती है। ऐसे में जब महिला का पीरियड होता है, तो उसे ज्यादा रक्तस्त्राव नहीं होता है।

 

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