Scrub Typhus in Hindi- खतरनाक है ये रोग! जान लें इससे बचाव का तरीका
हाल के कुछ वर्षों में भारत में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। देश के कई राज्य इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, असम आदि शामिल हैं। इसके अलावा उत्तर-पूर्व में नागालैंड, पूर्व में पश्चिम बंगाल और बिहार एवं पश्चिम में महाराष्ट्र और राजस्थान में भी कई लोग स्क्रब टाइफस का शिकार हो चुके हैं। चिंता की बात तो यह है कि स्क्रब टाइफस एक जानलेवा बीमारी है, जिसे समझना और बचाव करना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है।
स्क्रब टाइफस रोग क्या है?
स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) एक संक्रामक रोग है। इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी होती है। संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में स्क्रब टाइफस फैलता है। इस बीमारी का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि जापान, कोरिया, चीन और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जा रहा है। जिन क्षेत्रों में यह बीमारी पायी जाती है, वहां रहने वाला या यात्रा करने वाला कोई भी व्यक्ति आसानी से इस रोग की चपेट में आ सकता है।
क्या हैं स्क्रब टाइफस के लक्षण?
स्क्रब टाइफस के लक्षण व्यक्ति में अचानक से दिखना शुरू होते हैं। सामान्यत: चिगर के काटने के 10 से 12 दिन के इसके लक्षण नजर आते हैं। बुखार आना, स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का सबसे शुरुआती लक्षण है, साथ ही शरीर के जिस हिस्से में चिगर ने काटा है, वहाँ एक एस्केर विकसित होना शुरू जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे हिस्सा लाल होने लगता है और फिर फूलकर फट जाता है। इसके पश्चात उस जगह पर काली पपड़ी बन जाती है। बुखार के अलावा स्क्रब टाइफस में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं-
- सिर दर्द
- ठंड लगना
- व्यवहार में परिवर्तन (गंभीर मामलों में व्यक्ति कोमा तक भी पहुंच सकता है)
- लिम्फ नोड्स का बढ़ना
- शरीर पर लाल चकत्ते
- शरीर में दर्द
- जोड़ों में दर्द
सही समय पर स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) के इन लक्षणों का इलाज होना बेहद जरूरी है। इस मामले में देरी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकती है। दरसअल, यह बीमारी व्यक्ति के श्वसन तंत्र, गुर्दे एवं मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है। यहां तक कि इससे मल्टी ऑर्गेन फेलियर एवं ब्लीडिंग जैसी आपातकालीन स्थिति भी पैदा हो सकती है, इसीलिए इस बीमारी का तुरंत इलाज होना जरूरी है।
कैसे होता है स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का निदान?
स्क्रब टाइफस में नजर आने वाले लक्षण कई अन्य बीमारियों के लक्षण की तरह ही नजर आते हैं। शायद इसीलिए कई लोग इस बीमारी को नजरअंदाज करने की गलती कर देते हैं लेकिन आप ऐसा बिल्कुल भी न करें। जिन जगहों पर स्क्रब टाइफस के मामले पाये गये हैं, उन जगहों पर समय बिताने के बाद अगर किसी व्यक्ति में उपर बताये गये लक्षण नजरआये तो उसे तुरंत अपनी जाँच कराना चाहिये।
स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का पता लगाने के लिए अलावापॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) का उपयोग किया जाता है। इस टेस्ट में रोगी के रक्त को जांचा जाता है, जिससे जीवाणु के आरएनए या डीएनए को खोजने में मदद मिलती हैI इसके अलावा इम्यूनोफ्लोरेसेंस परीक्षण के माध्यम से शरीर में विकसित एंटीबॉडीज की मात्रा का पता लगाया जाता है। इसके साथ ही रोगी के लक्षणों और रोग का इतिहास का मूल्यांकन भी इस बीमारी के निदान में मदद कर सकता है।
स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का इलाज
एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का इलाज किया जा सकता है। यह एंटीबायोटिक किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए कारगक साबित हो सकती है। अगर स्क्रब टाइफस के लक्षण नजर आने के तुरंत बाद मरीज को डॉक्सीसाइक्लिन दी जाये तो इसका प्रभाव ज्यादा होता है। जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन से जल्दी इलाज किया जाता है, वे आमतौर पर जल्द ही इस बीमारी से स्वस्थ हो जाते हैं।
जानें स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) से बचाव का तरीका
स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए फिलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है। संक्रमित चिगर्स के संपर्क में आने से अगर व्यक्ति को खुद को बचा ले तो इससे स्क्रब टाइफस के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति उन क्षेत्रों की यात्रा न करे जहाँ स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) के मामले सामने आ रहे हैं। अगर व्यक्ति इन जगहों पर जाता भी है तो उसेबहुत अधिक वनस्पति और झाड़ियों वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिये क्योंकि यहाँ चिगर पाए जा सकते हैं।
इसके अलावा भी निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
- जो लोग घर से बाहर निकल रहे हैं, उन्हें त्वचा और कपड़ों पर पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) द्वारा पंजीकृत उन इंसेक्ट रिपेलेन्ट का उपयोग करना चाहिये, जिनमें डीईईटी या चिगर्स को मारने के लिए आवश्यक सभी सक्रिय तत्व शामिल हों।
- जो लोग सनस्क्रीन का उपयोग करते हैं वे इंसेक्ट रिपेलेन्ट लगाने से पहले सनस्क्रीन लगा सकते हैं।
- स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) से बच्चों को बचाना भी आवश्यक है। इसीलिए, जब भी बच्चे को बाहर लेकर जाएं तो उसे हाथ और पैर पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनाएं।
- बच्चे को हमेशा मच्छरदानी में सुलाएं।
- एक बात का ध्यान रखें कि बच्चे के हाथ, आंख, मुंह, कटी हुई त्वचा या जलन वाली त्वचा पर इंसेक्ट रिपेलेन्ट का इस्तेमाल न करें।
इस बारे में शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. आशीष प्रकाश बताते हैं कि इस बीमारी से बचाव करना जरूरी है। इसीलिए अगर बच्चे हरियाली में खेलने जाएं, तो उन्हें ऐसे कपड़े पहनाएं जिससे शरीर पूरी तरह ढका रहे। ऐसा करने से बच्चे को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।
इन सबके अलावा जब भी बाहर से घर वापस लौटें तो सबसे पहले अपने हाथ और पैर को अच्छे से धो लें। इस बात का भी ख्याल रखें कि घर पर कोई चूहा मौजूद न हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
बारिश के मौसम में स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) के मामले ज्यादा पाये जाते हैं, इसीलिए इस मौसम में व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। अगर व्यक्ति उपर बताये गये सुझावों को अपनायेगा तो इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। इसीलिए, जागरूक बनें और खुद को इस बीमारी से बचाने पर फोकस करें।
Reference
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FAQ
स्क्रब टाइफस के लक्षण क्या हैं?
बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना, शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, जोड़ों में दर्द आदि स्क्रब टाइफस के लक्षण हैं।
स्क्रब टाइफस का इलाज क्या है?
एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus in Hindi) का इलाज किया जा सकता है। यह एंटीबायोटिक किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए कारगक साबित हो सकती है।
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