Glaucoma in Hindi- विश्व में अंधापन का चौथा मुख्य कारण है ग्लूकोमा! रहें सतर्क
आँखें हमारे शरीर का एक सेंसिटिव अंग है, जिसकी मदद से हम पूरी दुनिया देख सकते हैं। अगर आँखों को कुछ हो जाये तो पूरा जीवन अंधकारमय हो सकता है। इसीलिए, शरीर के इस अंग का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। आजकल आँखों से संबंधित बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi)। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो पूरे विश्व में अंधापन का चौथा प्रमुख कारण ग्लूकोमा है। इसीलिए, विशेष सावधानी बरतना हर किसी के लिए जरूरी है। सबसे पहले इस बीमारी को समझना आवश्यक है।
जानें ग्लूकोमा क्या होता है?
इस बारे में नेत्र रोग विशेष, डॉ. थॉमस बताते हैं कि ग्लूकोमा को काला पानी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, आँखों के अंदर पानी भरता है और अपने आप ही बाहर निकल जाता है। जब किसी कारणवश इस पानी के बाहर निकलने में बाधा उत्पन्न होती है, तो आँखों पर दबाव पड़ने लगता है। इसे ही ग्लूकोमा कहते हैं।
ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) आंखों की बीमारियों का एक समूह है जो आपकी आंख के पीछे ऑप्टिक तंत्रिका नामक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाकर दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकती है। दरअसल, आँख के सामने वाले भाग में एक स्पष्ट तरल पदार्थ मौजूद होता है। यह द्रव आंखों को पोषण और आकार देता है। आंख लगातार इस तरल पदार्थ का उत्पादन करती है और इसे जल निकासी प्रणाली के माध्यम से बाहर निकाल देती है।
यदि किसी व्यक्ति को ग्लूकोमा (Glaucoma Meaning in Hindi) है, तो आंख से तरल पदार्थ बहुत धीरे-धीरे बाहर निकलता है। जब ऐसा होता है, तो तरल पदार्थ जमा हो जाता है और आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दबाव का प्रबंधन नहीं करता है, तो यह ऑप्टिक तंत्रिका और आंख के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दृष्टि हानि हो सकती है। ग्लूकोमा आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है। हालांकि, यह एक आंख को दूसरी की तुलना में अधिक गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
ग्लूकोमा का प्रकार
ग्लूकोमा कई प्रकार के होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
i) ओपन-एंगल ग्लूकोमा
इसे क्रोनिक ग्लूकोमा के रूप में भी जाना जाता है। यह ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार है, जो धीरे-धीरे विकसित होता है। इसमें व्यक्ति में कोई खास लक्षण भी नजर नहीं आते हैं।
ii) क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा
यह बीमारी दर्द और तेजी से दृष्टि हानि के साथ अचानक शुरू हो सकती है। अगर समय पर इलाज करा लिय जाये, तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
iii) लो-टेंशन ग्लूकोमा
लो-टेंशन ग्लूकोमा- यह ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) का एक दुर्लभ रूप है जिसमें आंखों का दबाव सामान्य सीमा से अधिक नहीं होता है लेकिन फिर भी क्षति का कारण बनता है। इससे ऑप्टिक तंत्रिका को भी नुकसान पहुँच सकता है। ऑप्टिक तंत्रिका में रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण यह समस्या हो सकती है।
iv) पिगमेंटरी ग्लूकोमा
यह एक प्रकार का ओपन-एंगल ग्लूकोमा है। इसमें आईरिस को रंग देने वाली कोशिकाओं में परिवर्तन होने लगता है। पिगमेंटरी ग्लूकोमा में, पिगमेंट कोशिकाएं पूरी आंख में फैल जाती हैं। यदि कोशिकाएं आंख से तरल पदार्थ निकालने वाली नलिकाओं में जमा हो जाती हैं, तो वे आंख में तरल पदार्थ के सामान्य प्रवाह को बाधित कर सकती हैं। इससे आंखों का दबाव बढ़ सकता है।
वैसे ग्लूकोमा बच्चों को भी हो सकता है। ऐसे मामले बहुत कम देखे जाते हैं लेकिन आनुवंशिक कारणों से ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) बच्चों को प्रभावित कर सकता है।
ग्लूकोमा के लक्षण
ग्लूकोमा (Glaucoma Meaning in Hindi) के मरीज में निम्नलिखत लक्षण नजर आते हैं-
- आंख या माथे में तेज दर्द
- आँख लाल होना
- दृष्टि में कमी या धुंधली दृष्टि
- सिरदर्द
- जी मिचलाना
- उल्टी
ग्लूकोमा का निदान
अलग-अलग तकनीक से ग्लूकोमा का निदान किया जाता है। ग्लूकोमा की जाँच सरल और दर्द रहित होती है। डॉक्टर आँखों की पुतली को चौड़ा करने के लिए कुछ आई ड्रॉप देते हैं और फिर ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) और अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए आंखों की जांच करते हैं। इन जांचों में पार्श्व दृष्टि की जांच करने के लिए एक विजुअल फील्ड टेस्ट भी शामिल होता है।
ग्लूकोमा का इलाज
ग्लूकोमा के उपचार का उद्देश्य आंख से तरल पदार्थ के प्रवाह में सुधार करना या तरल पदार्थ का उत्पादन कम करना होता है। कई तरीकों से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है-
1) आई ड्रॉप्स
ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) के प्रारंभिक उपचार के रूप में आई ड्रॉप का उपयोग किया जाता है। ये या तो आंखों में बनने वाले तरल पदार्थ की मात्रा को कम कर देते हैं या उन्हें बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करना और सही समय पर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना जरूरी है।
कई बार इन आई ड्रॉप्स के कुछ दुष्प्रभाव भी व्यक्ति में नजर आ सकते हैं- जैसे
- लालपन
- आंखों के रंग या आंखों के आसपास की त्वचा में बदलाव
- सिर दर्द
- कभी-कभी रेटिना अलग हो जाना या सांस लेने में कठिनाई होना
अगर ये दुष्प्रभाव ज्यादा नजर आते हैं, तो डॉक्टर या तो ड्राप्स की खुराक बदल सकते हैं या इलाज का अन्य तरीका अपना सकते हैं।
2) सर्जरी
यदि दवाइयां मदद नहीं करती हैं या यदि व्यक्ति उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाता है, तो डॉक्टर ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) के इलाज के लिए सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं। सर्जरी का उद्देश्य आमतौर पर आंख के अंदर दबाव को कम करना होता है। निम्नलिखित तरीकों से व्यक्ति की सर्जरी की जा सकती है-
i) ट्रैबेकुलोप्लास्टी
इसमें एक लेजर बीम का उपयोग किया जाता है, जिससे तरल पदार्थ को बाहर निकालना आसान हो जाता है।
ii) फ़िल्टरिंग सर्जरी
यदि लेजर सर्जरी से मदद नहीं मिलती है, तो सर्जन तरल पदार्थ की निकासी में सुधार के लिए आंखों में चैनल खोल सकता है।
iii) ड्रेनेज इम्प्लांट
यदि बच्चों में या किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति के परिणामस्वरूप ग्लूकोमा होता है, तो ड्रेनेज इम्प्लांट से इलाज में मदद मिल सकती है। इस प्रक्रिया के तहत जल निकासी में सुधार के लिए सर्जन आंख में एक छोटी सिलिकॉन ट्यूब डालता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
समय रहते अगर ग्लूकोमा (Glaucoma in Hindi) के लक्षणों को पहचानकर इलाज करा लिया जाये तो इस बीमारी से छुटकारा पाना संभव है। इसीलिए, सतर्क रहें और अपने आँखों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।
Reference
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FAQ
ग्लूकोमा कितने प्रकार का होता है?
ग्लूकोमा कई प्रकार का होता है, जिनमें ओपन-एंगल ग्लूकोमा, क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा, लो-टेंशन ग्लूकोमा एवं पिगमेंटरी ग्लूकोमा शामिल है।
क्या ग्लूकोमा बच्चों को भी हो सकता है?
जी हाँ, आनुवंशिक कारणों से बच्चों को भी ग्लूकोमा हो सकता है।
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