स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi)- 5 जोखिम कारक, जिन्हें बदल सकते हैं आप!

क्या आप जानते हैं दुनिया भर में हर साल 15 मिलियन लोग स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) का शिकार होते हैं? इतना ही नहीं इनमें से 5 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है एवं 5 मिलियन लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जारी किये गये यह आंकड़ें सचमुच चिंता का विषय हैं। ब्रेन स्ट्रोक किसी भी व्यक्ति को कहीं भी हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर इसके जोखिम कारकों के बारे में जानकर समय रहते बचाव किया जाये, तो स्ट्रोक के बढ़ते खतरे को कम किया जा सकता है।
आज हम ऐसे ही 5 जोखिम कारकों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें बदलना व्यक्ति के हाथों में है लेकिन उससे पहले ब्रेन स्ट्रोक क्या है, यह जानना जरूरी है।

ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke Meaning in Hindi) क्या है?

मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण स्ट्रोक होता है। रक्तस्राव या मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति में रुकावट के कारण यह परिस्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में जीवन बचाने के लिए व्यक्ति का तत्काल उपचार किया जाना बेहद जरूरी है।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Brain Stroke)

मस्तिष्क के किस भाग में रक्त का प्रवाह प्रभावित हुआ है, उसके आधार पर स्ट्रोक के लक्षण नजर आते हैं। इसके लक्षण अचानक नजर आते हैं, जो धीरे-धीरे बेहद गंभीर रूप ले सकते हैं।

इसके कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
  • भ्रम, जिसमें बोलने और समझने में कठिनाई शामिल है
  • सिरदर्द
  • उल्टी 
  • चेहरे, हाथ या पैर के हिस्सों को हिलाने में असमर्थता, खासकर शरीर के एक तरफ
  • एक या दोनों आँखों से देखने में परेशानी
  • चलने में कठिनाई
  • चक्कर आना 
इस बारे में जयपुर से न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. अंजनी कुमार शर्मा बताते हैं कि एक तरफ के हाथ-पैर में कमजोरी आना, आवाज़ लड़खड़ाना, मुंह में टेढ़ापन दिखना, शरीर का संतुलन बिगड़ना जैसे लक्षण साफ-साफ स्ट्रोक का संकेत हो सकते हैं। ऐसे में बिना समय गवाएं मरीज को अस्पताल ले जाना जरूरी है। 

स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) से दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। स्ट्रोक के बाद व्यक्ति अस्थायी या स्थायी विकलांगता का अनुभव भी कर सकता है।

कुछ लोगों में निम्नलिखित लक्षण भी नजर आते हैं-


  • मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण की समस्याएं
  • अवसाद
  • शरीर के एक या दोनों तरफ पक्षाघात (पैरालिसिस) या कमजोरी
  • अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने या व्यक्त करने में कठिनाई

ब्रेन स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi)  के जोखिम कारक

स्ट्रोक के कई जोखिम कारक हैं, जिन्हें दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। एक जोखिम कारक ऐसे हैं, जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। वहीं कुछ जोखिम कारक ऐसे हैं, जिन्हें कंट्रोल करना व्यक्ति के हाथों में नहीं है। तो सबसे पहले हम उन 5 जोखिम कारकों पर चर्चा करेंगे, जिनसे बचाव करना संभव है-

  1. उच्च रक्तचाप- लंबे समय से उच्च रक्तचाप होना, ब्रेन स्ट्रोक का सबसे प्रमुख जोखिम कारक है। इससे इस्केमिक और हेमोरेजिक, दोनों तरह के स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए, जिन लोगों का बीपी हमेशा हाई रहता है, उन्हें सतर्क होने और बीपी को कंट्रोल करने की जरूरत है। ऐसा करके स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi)  के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  2. मधुमेह-  स्ट्रोक के कारण में मधुमेह को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ब्लड शुगर लेवल ज्यादा होने से रक्त वाहिकाओं में वसा का जमाव ज्यादा हो सकता है। इसके कारण मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इसके कारण स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है, जिससे बचाव के लिए मधुमेह को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। 
  3. उच्च कोलेस्ट्रॉल- शरीर में अगर कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाये, तो इससे धमनियों में वसा का जमाव हो सकता है। जिसके कारण मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है और व्यक्ति स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi)  का शिकार हो सकता है। इसीलिए, सही खानपान, नियमित एक्सरसाइज व अन्य तरीकों से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना आवश्यक है। 
  4. मोटापा- बढ़ता वजन उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग एवं स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा है, उन्हें आज से ही सावधान होने की और वजन को कंट्रोल करने की जरूरत है। वजन नियंत्रण स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) के साथ-साथ कई जानलेवा बीमारियों के खतरे को कम करता है।
  5. शराब और धूम्रपान- अत्यधिक मात्रा में शराब या धूम्रपान का सेवन उच्च रक्तचाप व हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, जिसका सीधा संबंध स्ट्रोक से है। इस जानलेवा परिस्थिति से बचने के लिए शराब, धूम्रपान या किसी भी रूप में तंबाकू के सेवन से परहेज करना जरूरी है।
तो ये वो 5 सबसे प्रमुख जोखिम कारक हैं, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं। इन जोखिम कारकों से बचाव करना संभव है लेकिन कुछ ब्रेन स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) के कारण ऐसे हैं, जिन्हें चाहकर भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता, जैसे-

  • उम्र: स्ट्रोक का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है।
  • लिंग: महिलाओं की तुलना में पुरुषों में स्ट्रोक होने की संभावना थोड़ी अधिक होती है।
  • पारिवारिक इतिहास: जिन लोगों के परिवार में स्ट्रोक का इतिहास है, उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है। 
  • पूर्ववर्ती स्ट्रोक: जिन्हें पहले स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) या टीआईए हो चुका है, उनमें इसके दोबारा होने का खतरा अधिक होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

ब्रेन स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) एक जानलेवा परिस्थिति है, जो हो सकता है व्यक्ति को दूसरा मौका न दे। हम और आप चाहें तो स्वयं को इस जानलेवा परिस्थिति से बचा सकते हैं। इसके लिए खानपान को ठीक करें, फल और हरी सब्जियां ज्यादा खाएं, बाहर के खाने एवं जंक फूड से परहेज करें, पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स आदि खाएं और फैट की मात्रा कम करें, नियमित एक्सरसाइज करें, तनाव से मुक्त रहें और नशीले पदार्थों से परहेज करें। ये छोटे-छोटे कदम ब्रेन स्ट्रोक (Stroke Meaning in Hindi) के खतरे को हमेशा के लिए कम कर सकते हैं। इसीलिए, आज से ही कोशिश शुरू करें। 


FAQ


ब्रेन स्ट्रोक क्या है?

मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण स्ट्रोक होता है। रक्तस्राव या मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति में रुकावट के कारण यह परिस्थिति पैदा हो सकती है।

क्या पारिवारिक इतिहास से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है?

जी हाँ, जिन लोगों के परिवार में पहले भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आ चुके हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिये।

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