फेफड़ों के कैंसर से जा सकती है जान! जानें इसका कारण, लक्षण और इलाज


विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार फेफड़े का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में इसकी मृत्यु दर सबसे अधिक है। इस गंभीर बीमारी के लिए व्यक्ति द्वारा की गयी एक गलती सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है, जिसका नाम है- धूम्रपान। संगठन के अनुसार धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के लगभग 85% मामलों के लिए जिम्मेदार होता है। चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का पता देरी से चलता है और तब तक इलाज के लिए ज्यादा विकल्प बचते नहीं हैं। इसीलिए, यह जरूरी है कि व्यक्ति को इस बीमारी के बारे में सबकुछ पहले से जानकारी हो ताकि समय रहते इसका पता लगाया जा सके। 

कितने प्रकार के होते हैं फेफड़ों के कैंसर?


फेफड़ों में शुरू होने वाले कैंसर को प्राथमिक यानी प्राइमरी फेफड़े का कैंसर कहा जाता है। दूसरी तरफ, जो कैंसर शरीर में किसी अन्य स्थान से फेफड़ों तक फैलता है, उसे द्वितीयक यानी सेकेंडरी फेफड़े का कैंसर कहा जाता है। 

प्राथमिक फेफड़ों के कैंसर के दो मुख्य रूप हैं। इन्हें कोशिकाओं के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें कैंसर बढ़ना शुरू होता है। वे हैं:

नॉन-स्मॉल सेल कार्सिनोमा (एनएससीएलसी)- यह फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम प्रकार है, जिसके 100 में से लगभग 80 से 85 मामले सामने आते हैं। यह तीन प्रकारों में से एक हो सकता है: स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, एडेनोकार्सिनोमा या लार्ज-सेल कार्सिनोमा।

स्मॉल सेल कार्सिनोमा (एससीएलसी)- यह बीमारी कम आम है, जो नॉन-स्मॉल सेल कार्सिनोमा की तुलना में तेजी से फैलती है।

समय रहते पहचानें फेफड़ों के कैंसर के लक्षण

फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित लोगों को आम तौर पर बाद के चरणों में लक्षणों का अनुभव होता है, जब यह कैंसर फैल जाता है। हालांकि, इसके संभावित लक्षणों में शामिल हैं:
  • आवाज़ में बदलाव, जैसे कि घरघराहट
  • बार-बार छाती में संक्रमण, जैसे ब्रोंकाइटिस या निमोनिया
  • लंबे समय तक रहने वाली खांसी जो बदतर हो सकती है
  • खांसते वक्त खून आना
  • छाती में दर्द
  • भूख कम लगना 
  • वजन कम होना
  • थकान
  • सांस की तकलीफ 
वहीं समय के साथ, व्यक्ति को अधिक गंभीर लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है, जैसे-
  • हड्डी का दर्द और हड्डी का फ्रैक्चर
  • सिर दर्द
  • छाती के बीच में लिम्फ नोड्स में सूजन

जानें फेफड़ों के कैंसर का कारण और रिस्क फैक्टर्स

इस बात पर हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं कि धूम्रपान या तम्बाकू फेफड़ों के कैंसर का सबसे आम कारण है। हालांकि, फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हर कोई धूम्रपान नहीं करता है। यह बीमारी अन्य कारणों से भी हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
  • पैसिव स्मोकिंग
  • एचआईवी संक्रमण
  • परिवार में फेफड़े के कैंसर का इतिहास
  • एस्बेस्टस के संपर्क में आना
  • पहले रेडिएशन थेरेपी कराना
  • आर्सेनिक, कैडमियम, डीजल के धुएं आदि के संपर्क में आना
  • बढ़ती उम्र

कैसे होता है फेफड़ों के कैंसर का निदान?

फेफड़ों के कैंसर के निदान के तरीकों में शारीरिक परीक्षण, इमेजिंग (जैसे छाती का एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग), ब्रोंकोस्कोपी का उपयोग करके फेफड़े के अंदर की जांच, हिस्टोपैथोलॉजी परीक्षा के लिए ऊतक का नमूना लेना (बायोप्सी) आदि शामिल हैं।

इस बारे में रीवा, मध्य प्रदेश से क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, डॉ. मुकेश तिवारी बताते हैं कि फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए छाती का एक्स-रे किया जाता है। एक्स-रे में छाती में एक स्पॉट दिखती है, जो कभी-कभी टीबी का संकेत हो सकती है। ऐसी अवस्था में मरीज को टीबी है या फेफड़ों का कैंसर, इसकी सही जानकारी पाने के लिए बलगम की जांच और सीटी स्कैन किया जाता है। इसके अलावा कैंसर की स्टेज का पता लगाने के लिए पीईटी या पेट स्कैन और एमआरआई जाँच की जाती है। 

फेफड़ों के कैंसर का इलाज है संभव!

फेफड़ों के कैंसर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर में किस प्रकार का म्यूटेशन है, यह कितनी दूर तक फैला है और व्यक्ति का सामान्य स्वास्थ्य कितना अच्छा है।

अगर जाँच में बीमारी की पुष्टी होती है और कैंसर कोशिकाएं एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित रहती हैं, तब फेफड़े के प्रभावित क्षेत्र को हटाने के लिए सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। यदि व्यक्ति के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सर्जरी करना संभव नहीं है, तब कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी की मदद ली जा सकती है। 

यदि कैंसर बहुत ज्यादा फैल गया हो, तो आमतौर पर कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। ऐसी कई दवाइयां भी हैं, जिन्हें टारेगेडेट थेरेपी के रूप में जाना जाता है। एक बात ध्यान में रखें कि टारेगेडेट थेरेपी फेफड़ों के कैंसर का इलाज नहीं कर सकते हैं लेकिन वे इसे बढ़ने से रोक सकते हैं।

फेफड़ों के कैंसर से बचाव है आपके हाथों में


सभी फेफड़ों के कैंसर को रोकना संभव नहीं है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बचाव की कोशिश की जा सकती है, जैसे-
  • धूम्रपान बिल्कुल भी न करें
  • पैसिव स्मोकिंग से बचें
  • रेडॉन और अन्य विषाक्त पदार्थों से बचें
  • वायु प्रदूषण से स्वयं को बचाएं
  • घर का बना संतुलित आहार खाएं और बाहर के खाने से परहेज करें
  • शराब से भी दूरी बना लें

निष्कर्ष (conclusion)

जो लोग धूम्रपान का सेवन कर रहे हैं, वो इसकी लत को आज से ही छोड़ें। वहीं, जिनमें फेफड़ों के कैंसर के विकसित होने का जोखिम ज्यादा है, वे नियमित रूप से स्क्रीनिंग कराते रहें, इससे समय रहते इस बीमारी को पकड़ना और इसका इलाज करना आसान होगा।  

FAQ


फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण क्या है?

फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है- धूम्रपान। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के लगभग 85% मामलों के लिए जिम्मेदार होता है।

फेफड़ों के कैंसर से बचाव कैसे करें?

फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान बिल्कुल भी न करें, पैसिव स्मोकिंग से बचें, रेडॉन और अन्य विषाक्त पदार्थों से बचें, वायु प्रदूषण से स्वयं को बचाएं एवं घर का बना संतुलित आहार खाएं।

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