जानें वो 7 कारण जो बढ़ाते हैं High Cholesterol का खतरा!

कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा पदार्थ है, जिसका निर्माण लिवर द्वारा किया जाता है।  शरीर को हार्मोन बनाने और वसायुक्त खाद्य पदार्थों को पचाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इसकी आवश्यकता होती है। चूंकि, शरीर आवश्यक कोलेस्ट्रॉल स्वयं बनाता है, इसीलिए विशेषज्ञों द्वारा उन आहारों का कम से कम सेवन करने की सलाह दी जाती है, जो कोलेस्ट्रॉल का स्तर (High Cholesterol) बढ़ाते हैं। 


डॉक्टर कैसे करते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) का निदान?


कोलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) में मापा जाता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच के लिए डॉक्टर लिपोप्रोटीन पैनल या लिपिड प्रोफाइल नामक रक्त परीक्षण की मदद लेते हैं। इससे जाँच की जाती है- 

  • एलडीएल कोलेस्ट्रॉल-  इसे लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन या बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। इसकी ज्यादा मात्रा शरीर में कई तरह की परेशानियों का कारण बन सकती है।
  • एचडीएल कोलेस्ट्रॉल- इसे हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन या गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं।
  • ट्राइग्लिसराइड्स: यह रक्त में मौजूद वसा का एक प्रकार है, जिसका उपयोग शरीर ऊर्जा के लिए करता है। 

अब जानें हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) क्या होता है?

वयस्कों एवं बच्चों में 200 मिलीग्राम/डीएल एवं इससे कम के स्तर को नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। वहीं अगर कोलेस्ट्रॉल का स्तर इससे ज्यादा हो जाये, तो उसे हाई कोलेस्ट्रॉल या हाइपरलिपिडेमिया कहते हैं। 

उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षण क्या हैं?

कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर (High Cholesterol) एक साइलेंट कंडीशन है। आम तौर पर इसमें कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। लोगों को इसका एहसास तब होता है, जब उनमें गंभीर जटिलताएं विकसित होने लगती हैं। इस बारे में डॉ. चंद्र प्रकाश बताते हैं कि कुछ शारीरिक बदलाव हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) का संकेत हो सकते हैं। इनमें अचानक घबराहट महसूस होना, छाती में दर्द, पैरों में दर्द, गैस, कब्ज व अपच जैसी समस्याएं शामिल हैं। 

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित करने वाले कारक

विभिन्न प्रकार के कारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं, इनमें शामिल हैं- 

  1. आहार- ज्यादा मात्रा में संतृप्त या ट्रांस वसा का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है। सही खानपान से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित की जा सकती है। 
  2. वज़न-  अधिक वजन होना भी शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढाता है। 
  3. व्यायाम- नियमित व्यायाम एलडीएल को कम कर सकता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। हर व्यक्ति को रोजाना 30 मिनट तक शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की कोशिश करनी चाहिये। 
  4. आयु और लिंग-  उम्र बढ़ने के साथ-साथ भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ (High Cholesterol) सकता है। रजोनिवृत्ति से पहले महिलाओं में समान उम्र के पुरुषों की तुलना में कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। हालांकि, रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एलडीएल का स्तर बढ़ने लगता है। 
  5. आनुवंशिकता- जीन आंशिक रूप से शरीर द्वारा कोलेस्ट्रॉल निर्माण की मात्रा निर्धारित करते हैं।  हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या परिवारों में चल सकती है।
  6. चिकित्सीय स्थितियां- कभी-कभी कुछ बीमारियां हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इनमें हाइपोथायरायडिज्म, लिवर एवं किडनी संबंधी बीमारियां आदि शामिल हैं।
  7. दवाइयां-  कुछ दवाइयां जैसे स्टेरॉयड या प्रोजेस्टिन बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं।

हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर धमनियों में प्लाक के निर्माण का कारण बन सकता है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। इस प्लाक के जमा होने से रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जो खतरनाक हो सकता है5। एथेरोस्क्लेरोसिस से व्यक्ति में निम्नलिखित बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है-
  • स्ट्रोक
  • दिल का दौरा
  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज
  • पेरिफेरल आर्टरी डिजीज
  • क्रोनिक किडनी डिजीज

हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) का उपचार एवं रोकथाम

जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम एवं एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित बनाए रखने में मदद मिल सकती है। हालांकि, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर कभी-कभी दवाइयां लेने की सलाह दे सकते हैं। इन सबके अलावा सबसे ज्यादा जरूरी है जीवनशैली में बदलाव करना और इसके लिए नीचे बताये गये कदम उठाना आवश्यक है- 

  1. पौष्टिक आहार लेना- ऐसा खाना जिनमें सैचुरेटेड एवं ट्रांस फैट की मात्रा कम होती है, उसका सेवन ज्यादा करना चाहिये। घर का बना संतुलित आहार, फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ज्यादा मात्रा में फाइबर का सेवन आदि शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं।  
  2. धूम्रपान न करें- धूम्रपान छोड़ने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो सकता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
  3. शराब का सेवन सीमित करें- शराब ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। नियमित रूप से शराब का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) के प्रमुख जोखिम में से एक है। इससे बचाव के लिए शराब से पूरी तरह दूरी बनाना जरूरी है।
  4. तनाव को प्रबंधित करें- तनाव कई सारी बीमारियों की जड़ है। कई लोग तनाव में न तो खानपान पर ध्यान देते हैं और न ही शारीरिक गतिविधियां करते हैं। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अनियंत्रित हो सकता है, जो कुछ लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसीलिए, तनावमुक्त जीवन जीना जरूरी है और इसके लिए मेडिटेशन करना सबसे अच्छा विकल्प है।
  5. व्यायाम- हर रोज नियमित रूप से व्यायाम करना हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) से छुटकारा पाने का एक अहम जरिया है। डॉक्टर भी अक्सर यही सलाह देते हैं। 
  6. दवाइयां-  यदि कोई व्यक्ति हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होता है, तो ऐसी अवस्था में डॉक्टर स्टैटिन जैसी दवाइयां दे सकते हैं।  ये दवाइयां हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से छुटकारा दिलाते हुए स्ट्रोक या दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज के समय में लगभग हर व्यक्ति का खानपान गड़बड़ है। सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों में भी बाहर के खाने का शौक बढ़ रहा है, जो कम उम्र में ही उन्हें हाई कोलेस्ट्रॉल का शिकार बना सकता है। चिंता की बात तो यह है कि हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) के लक्षण तब तक नजर नहीं आते, जब तक शरीर में कोई समस्याएं पैदा न हो जाये। इसीलिए, जरूरी है कि व्यक्ति शुरू से ही आवश्यक सावधानियां बरते। इसके लिए समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जाँच कराते रहें, नियमित रूप से व्यायाम करें एवं थोड़ी सी परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

FAQ

हाई कोलेस्ट्रॉल से कौन-कौन सी परेशानी हो सकती है?

उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर धमनियों में प्लाक के निर्माण का कारण बन सकता है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। इसके कारण स्ट्रोक, हार्ट अटैक, कोरोनर आर्टरी डिजीज, पेरिफेरल आर्टरी डिजीज व अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

क्या उम्र का बढ़ना हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है?

उम्र हाई कोलेस्ट्रॉल के प्रमुख रिस्क फैक्टर्स में शामिल है। कई बार उम्र बढ़ने के साथ-साथ भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।

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