पीरियड्स (Period) में होती है 6 दिनों से ज्यादा ब्लीडिंग? जानें इसका कारण

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क्या आपको भी पीरियड्स (Period) में होता है भारी रक्तस्त्राव?

6 दिनों से ज्यादा बीतने के बाद भी नहीं रूकती है ब्लीडिंग? अगर हाँ, तो बिना देरी किये आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इस परेशानी को मेनोरेजिया कहा जाता है। यह महिलाओं में होने वाली एक कॉमन समस्या है। मेनोरेजिया उन सभी महिलाओं को प्रभावित कर सकता है जिनमें पीरियड्स की शुरुआत हो चुकी है और जो मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति तक नहीं पहुंची हैं।

पीरियड्स (Period) के दौरान

दरअसल, पीरियड्स (Period) के दौरान औसतन 4-5 दिनों में 30-45 मिलीलीटर के आसपास रक्स्त्राव होता है। हालांकि, मेनोरेजिया से पीड़ित महिला को 6-7 दिन बीत जाने के बाद भी ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है, जिसके कारण उन्हें हर घंटे एक या अधिक टैम्पोन या पैड बदलने की जरूरत पड़ सकती है। 

पीरियड्स (Period) में ज्यादा ब्लीडिंग के लिए ये कारण हो सकते हैं जिम्मेदार

असामान्य रूप से भारी या लंबे समय तक पीरियड्स में रक्तस्राव होने के कई कारण हो सकते हैं। मेनोरेजिया के संभावित कारणों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। इनमें  गर्भाशय एवं हार्मोन से संबंधित समस्याएं और अन्य बीमारियां या विकार शामिल हैं, जैसे- 

  1. गर्भाशय फाइब्रॉएड- ये गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर हैं, जो गर्भाशय की दीवार के अंदर या बाहर के हिस्से में बढ़ते हैं। इस परेशानी के कारण महिला को पीरियड्स (Period) के दौरान भारी रक्तस्राव या दर्द जैसी तकलीफों से गुजरना पड़ सकता है।
  2. गर्भाशय पॉलीप्स- इस परेशानी को एंडोमेट्रियल पॉलीप्स के रूप में भी जाना जाता है, जो गर्भाशय (एंडोमेट्रियम) की परत में कोशिकाओं के अत्यधिक बढ़ने के कारण बनते हैं। सामान्यत: ये पॉलीप्स गैर-कैंसरयुक्त होते हैं।
  3. अनियमित ओव्यूलेशन- अगर हार्मोनल असंतुलन के कारण ओव्यूलेशन अनियमित होता है, तो ऐसी हालत में गर्भाशय की मोटी परत बन सकती है। इसके पश्चात जब पीरियड्स (Period) आते हैं, तब यही परत निकलती है और ऐसे में भारी रक्तस्राव हो सकता है। प्यूबर्टी और पेरिमेनोपॉज के दौरान यह परेशानी अक्सर देखी जाती है। तनाव, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) और हाइपोथाइरायडिज्म सहित कुछ अन्य बीमारियों में महिलाओं को इस तकलीफ से गुजरना पड़ता है।
  4. नॉन-हार्मोनल इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी)- यह एक बर्थ कंट्रोल डिवाइस है, जिसे गर्भाशय में लगाया जाता है। कई बार इसके कारण भी महिलाओं को पीरियड्स (Period) के दौरान भारी रक्तस्त्राव हो सकता है।
  5. एडिनोमायोसिस- इस बीमारी में गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) से ऊतक गर्भाशय की दीवार पर बढ़ने लगते हैं। ऐसे में पीरियड्स के दौरान दर्द, भारी रक्तस्त्राव व अन्य लक्षण नजर आने लगते हैं। 
  6. प्रेगनेंसी से संबंधित परेशानियां- गर्भपात, एक्टॉपिक प्रेगनेंसी व इस अवस्था से जुड़ी अन्य परेशानियों के कारण भारी ब्लीडिंग हो सकती है। 
  7. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी)- यह महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाला संक्रमण है। यौन संचारित रोगों का इलाज नहीं कराने से यह बीमारी हो सकती है। 
  8. कैंसर- यूट्राइन, सर्वाइकल और ओवेरियन कैंसर प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं और भारी रक्तस्राव का कारण बनते हैं।

पीरियड्स (Period) में भारी रक्तस्त्राव का इलाज क्या है?

मेनोरेजिया का उपचार महिला की अवस्था और कारणों पर निर्भर करता है। इसके उपचार के लिए दवाइयां एवं सर्जरी के कई विकल्प उपलब्ध हैं। बात अगर ड्रग्स थेरेपी यानी औषधि चिकित्सा के बारे में की जाये, तो- 

  • भारी रक्तस्त्राव से एनीमिया की शिकायत हो सकती है और इसके इलाज के लिए आयरन सप्लीमेंट्स दिये जा सकते हैं। 
  • पीरियड्स (Period) को अधिक नियमित बनाने, रक्तस्राव को कम करने या रक्तस्राव को पूरी तरह से रोकने के लिए जन्म नियंत्रण गोलियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • रक्तस्राव की मात्रा को कम करने के लिए एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन या दोनों के मिश्रण युक्त दवाइयों के साथ हार्मोन थेरेपी दी जा सकती है।
  • पीरियड्स में रक्तस्त्राव या ऐंठन को कम करने के लिए गर्भाशय की परत में एक हार्मोनल आईयूडी लगाया जा सकता है। 

सर्जिकल प्रक्रियाएं

मेनोरेजिया के कारणों के आधार पर इलाज के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की भी मदद ली जा सकती है, जिनमें शामिल है- 

यूट्राइन आर्टरी एम्बोलाइजेशन- यह प्रक्रिया रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों को ब्लॉक करके फाइब्रॉएड का इलाज करती है।

ऑपरेटिव हिस्टेरोस्कोपी- इसमें लाइनिंग की जाँच के लिए गर्भाशय के अंदर एक छोटा कैमरा डाला जाता है। ऐसे में अगर जरूरी हो, तो पीरियड्स (Period) में भारी रक्तस्त्राव को कम करने के लिए किसी पॉलीप्स या गर्भाशय की परत को हटाया जा सकता है।  

मायोमेक्टोमी- इस प्रक्रिया की मदद से गर्भाशय फाइब्रॉएड को हटा दिया जाता है या फिर गर्भाशय को हटाये बिना भारी रक्तस्राव को रोका जाता है।

हिस्टेरेक्टॉमी- इस सर्जिकल प्रक्रिया की मदद से गर्भाशय, सर्विक्स और कभी-कभी अंडाशय को हटा दिया जाता है। इससे पीरियड को स्थायी रूप से रोक दिया जाता है और महिला के गर्भवती होने की क्षमता भी खत्म हो जाती है। 

निष्कर्ष (Conclusion)

पीरियड्स (Period) में भारी रक्तस्त्राव की समस्या को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। अगर आप इस परेशानी से गुजर रही हैं, तो बिना देरी किये चिकित्सक से संपर्क करें और इलाज कराएं।

FAQ

कौन-कौन सी बीमारियां पीरियड्स में भारी रक्तस्त्राव के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं?

गर्भाशय फाइब्रॉएड, गर्भाशय पॉलीप्स, एडिनोमायोसिस, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज व कैंसर जैसी बीमारियां पीरियड्स में भारी रक्तस्त्राव के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

कैसे होता है मेनोरेजिया का इलाज?

कारणों के आधार पर मेनोरेजिया का इलाज किया जाता है। दवाइयों से इसका उपचार संभव है। जरूरत पड़ने पर सर्जरी का विकल्प भी अपनाया जा सकता है।

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