पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस: कारण, लक्षण, जांच और समाधान

पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस1 (Osteoporosis) एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर होकर टूटने का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्या आमतौर पर महिलाओं से जोड़ी जाती है, लेकिन पुरुष भी इससे बचे हुए नही हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो 50 वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक 5 में से 1 पुरुष को ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा रहता है। 

इस आर्टिकल में पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है। 

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Symptoms of Osteoporosis) [ref]

ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित बहुत से लोग इस बात से अनजान होते हैं कि उन्हें यह बीमारी हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस रोग के लक्षण तब समझ आते हैं, जब इसकी चपेट में आए व्यक्ति की हड्डियों में फ्रैक्चर होना शुरू हो जाता है।

हालांकि इसके शुरुआती और सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं - 

  • पीठ में तेज दर्द होना
  • कद का कुछ इंच छोटा होना
  • रीढ़ की हड्डियों में गड़बड़ी
  • आसानी से हड्डियों में फ्रैक्चर होना
  • हिलने-डुलने में परेशानी होना
  • पैरों को शरीर का भार उठाने में परेशानी होना
  • शरीर में खड़े होने पर आगे की ओर झुकाव दिखना
  • सांस लेने में परेशानी होना

पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण (Causes of Osteoporosis in Men) [ref]

ऑस्टियोपोरोसिस सामान्य रूप से उम्र बढ़ने पर होने वाली बीमारी है। उम्र बढ़ने से हड्डियाँ फिर से बढ़ने और खुद को सुधारने की अपनी क्षमता खो देती हैं। जी हैं, शरीर के दूसरे अंगों की तरह ही हड्डियां भी जीवित उत्तक (Living Tissue) हैं। किसी भी व्यक्ति की हड्डियों में 30 साल की उम्र तक स्वाभाविक बदलाव होते रहते हैं। 35 साल की उम्र के बाद बोन मास धीरे-धीरे कम होने लगता है। हालांकि अगर किसी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस है तो उसका बोन मास ज्यादा तेजी से कम होता है, जो हड्डियों के आसानी से फ्रैक्चर होने का कारण बनती है। 

पुरुषों में यह समस्या कई कारणों से विकसित हो सकती है, जैसे - 

  • बढ़ती उम्र : उम्र के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटने से हड्डियों पर असर पड़ता है।
  • हार्मोन असंतुलन : टेस्टोस्टेरोन की कमी (Hypogonadism) और थायरॉयड हार्मोन का अधिक उत्पादन भी इसके कारणों में शामिल है। 
  • जीवनशैली और आदतें :अत्यधिक धूम्रपान और शराब का सेवन करने से भी पुरुष इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। कैल्शियम और विटामिन डी की कमी वाला आहार भी इसके कारणों में एक है। शारीरिक गतिविधियों की कमी भी हड्डियों के टूटने का कारण बन सकती हैं। 
  • बीमारियां और दवाओं का असर : पुरानी किडनी और लीवर की समस्याएं, कोर्टिकोस्टेरॉयड जैसी दवाओं का लंबे समय तक उपयोग, डायबिटीज, रूमेटॉइड आर्थराइटिस और कैंसर ऑस्टियोपोरोसिस का कारण हो सकता है। 
  • आनुवंशिकता : अगर परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरोसिस है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।

जांच और इलाज और (Diagnosis and Treatment) [ref] [ref]

हड्डियों के घनत्व (Bone Density) को एक मशीन द्वारा मापा जा सकता है। इस दर्द रहित परीक्षण के दौरान, आप एक गद्देदार मेज पर लेट जाते हैं और एक स्कैनर आपके शरीर के ऊपर से गुजरता है। ज़्यादातर मामलों में केवल कुछ हड्डियों की जाँच की जाती है - जैसे कूल्हे (Hip) और रीढ़ (Spine) की हड्डी।

  • डेक्सा स्कैन (DXA) : हड्डियों का घनत्व मापने के लिए यह प्राथमिक परीक्षण है।
  • रक्त और मूत्र जांच : कैल्शियम, विटामिन डी और टेस्टोस्टेरोन के स्तर की जांच के लिए जरूरी।
  • एक्स-रे और एमआरआई : हड्डियों की संरचना में बदलाव की पहचान करने के लिए किया जाता है। 
  • टी और जेड स्कोर : इससे ऑस्टियोपोरोसिस है या नहीं, या फिर भविष्य में हो सकता है या नहीं इसका पता लगाया जाता है। 

टी और जेड स्कोर की खासियत और [ref] [ref]

डॉक्टर टी और जेड स्कोर की मदद से यह पता कर सकते हैं कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है या नहीं या फिर भविष्य में आपको इसका खतरा हो सकता है या नहीं। अगर आपकी उम्र 50 साल या उससे ज़्यादा है, तो आपके बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट का नतीजा टी-स्कोर होगा। टी-स्कोर आपके बोन मिनरल डेंसिटी और एक स्वस्थ युवा वयस्क के औसत बोन मिनरल डेंसिटी के बीच का अंतर होता है। अगर आपका टी-स्कोर -2.5 से कम आता है तो, यह ऑस्टियोपोरोसिस का संकेत माना जाता है।

वहीं अगर आपकी उम्र 50 साल से कम है, तो आपके बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट का नतीजा जेड-स्कोर होगा। जेड-स्कोर आपके बोन मिनरल डेंसिटी और आपकी उम्र और लिंग के स्वस्थ लोगों के औसत बोन मिनरल डेंसिटी के बीच का अंतर होता है। यहां भी अगर स्कोर -2.5 से कम आता है तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का संकेत हो सकता है। 

अब जान लेते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के बारे में। ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज हड्डियों को मजबूत बनाने, घनत्व बढ़ाने और फ्रैक्चर रोकने पर केंद्रित होता है। इसके प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं- 

1. दवाओं का उपयोग 

  • बिसफॉस्फोनेट्स: हड्डियों की मजबूती बढ़ाने के लिए।
  • कैल्सीटोनिन: हड्डियों के दर्द को कम करने में सहायक।
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): टेस्टोस्टेरोन की कमी को दूर करने के लिए।
  • पैराथायरॉयड हार्मोन (PTH): नई हड्डियों के निर्माण में सहायक।

2. आहार और पोषक तत्व

  • कैल्शियम और विटामिन डी के लिए दूध, पनीर, दही और हरी सब्जियां खाएं। धूप सेकने से भी हड्डियां मजबूत होती हैं।
  • मैग्नीशियम और जिंक वाले भोजन करें, ये हड्डियों की मजबूती में सहायक होते हैं। 

3. जीवनशैली में सुधार

  • व्यायाम : वेट-बेयरिंग और रेजिस्टेंस एक्सरसाइज जैसे योग और स्ट्रेचिंग करें।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें।
  • पर्याप्त नींद और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाएं।

4. फ्रैक्चर रोकने के उपाय

  • फिसलने से बचने के लिए घर को सुरक्षित बनाएं।
  • सही तरीके से चलने के लिए सपोर्ट का उपयोग करें।

रोकथाम के अन्य उपाय [ref]

ऑस्टियोपोरोसिस को होने से रोकने के लिए आमतौर पर व्यायाम करना और अपने आहार में पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी लेना लाभदायक होता है।  इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। 

चोट लगने के जोखिम को कम करने के लिए इन सामान्य सुरक्षा नियमों का पालन करें:

  • गाड़ी चलाते समय हमेशा अपनी सीटबेल्ट पहनें।
  • सभी गतिविधियों और खेलों के लिए सही सुरक्षात्मक कदम उठाएं।
  • घर, ऑफिस या किसी अन्य जगह जहाँ गिरने का खतरा हो, वहां ध्यान से संभल कर रहें।
  • कभी भी कुर्सियों, टेबल या काउंटरटॉप पर खड़े होकर अकेले काम न करें।
  • अगर आपको चलने में कठिनाई होती है या गिरने का जोखिम रहता है तो वॉकर का उपयोग करें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें।
  • समय-समय पर हड्डियों की जांच करवाएं।

निष्कर्ष

पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर स्थिति है जिसे समय पर पहचाना और रोका जा सकता है। सही आहार, दवाएं और स्वस्थ जीवनशैली से हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है। इस समस्या के प्रति जागरुकता और रोकथाम के प्रयास, इसे नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।

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